बुद्ध ने शाश्वतवाद का अस्वीकार किया है। क्योंकि कोई पदार्थ शाश्वत नहीं है। सभी पदार्थ अनित्य है, परिवर्तनशील है।

🙏☸ मंगलमय सुप्रभात ☸🙏

*☸संततिवाद सिद्धांत बुद्ध धम्म की देन☸*

बुद्ध ने शाश्वतवाद का अस्वीकार किया है। क्योंकि कोई पदार्थ शाश्वत नहीं है। सभी पदार्थ अनित्य है, परिवर्तनशील है।

बुद्ध ने कहा :- *"यदा पञ्ञाय पस्सति"* - अगर प्रज्ञा से देखा जाए तो *"सब्बे सञ्खारा अनिच्चाति"* - सभी पदार्थ अनित्य है अगर अपरिवर्तनीय होता तो जगत जैसे था वैसे रहता, लेकिन वास्तविकता ऐसी नहीं है। 

बुद्ध ने कहा :- 

*अनिच्चा वत संखारा उप्पादवय धम्मिनो,*
*उप्पज्जित्वा निरुज्झन्ति।।* 

संस्कार अनित्य हैं। उत्पन्न होना, निरोध होना उनका धर्म है। वे उत्पन्न होकर निरोध को प्राप्त होते हैं। 
                         
*बुद्ध अनात्मवादी हैं। न आत्मा हैं, न परमात्मा हैं।*
 
बुद्ध ने कहा :-
*जीवन देनेवाला कोई नहीं हैं, ना हीं कोई जीवन लेनेवाला। प्राणी अपने-अपने कर्म से भवचक्र में चलते हैं, जब तक तृष्णा का समूल निरोध नहीं हो जाता हैं।*

बुद्ध ने कहा :-
*"अत्ता ही अत्नो नाथो।"*
*स्वयं व्यक्ति अपना मालिक है।*
*"को हि नाथो परो सिया।"*
*कोई अन्य मालिक नहीं है।*

बुद्ध ने उच्छेदवाद को भी नकारा है। क्योंकि पदार्थ का यथार्थ में उच्छेद नहीं होता है, उसके स्वरुप में परिवर्तन होता है। जैसे, आपधातु यानी जल अग्नि के संपर्क में आते ही उसके स्वरूप में परिवर्तन होता है। Oxygen और hydrogen के संयोजन से बना हुआ पानी अग्नि के स्पर्श से परिवर्तित होकर वायु स्वरूप में परिवर्तित होता है। ऐसे सभी पदार्थ में अपने-अपने गुण धर्म के अनुसार दूसरे परिबल के कारण परिवर्तन होता है। 

आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखें तो उच्छेदवाद के अनुसार प्राणी की मृत्यु के बाद सब खत्म हो जाता है। यह धारणा बिलकुल गलत है, प्रकृति के नियमों से विपरीत है।

बुद्ध ने संततिवाद का आविष्कार किया है। संततिवाद, शाश्वतवाद और उच्छेदवाद से बिलकुल भिन्न है।

*संततिवाद सिद्धांत के अनुसार प्राणी की मृत्यु के बाद सब खत्म नहीं होता है। प्राणी की मृत्यु के बाद नाम और रूप, जो पंचस्कंध है,उनका विघटन हो जाता है।*

*नाम का प्रयोजन चित्त से,मन से है। रूप है चार महाभूत - पृथ्वी, जल, अग्नि और वायु। इन पंच स्कंध में जो नाम है यानी चित्त है, वह उर्जा है, energy है। आज के समय में विज्ञान कहते है ऊर्जा कभी खत्म नहीं होती है। लेकिन, Energy in the process of transfer from one body to another. ... All forms of energy are associated with motion.*

*इस तरह मृत्यु के बाद प्राणी की ऊर्जा यानी चित्त - energy transfer हो जाती है। इसे कहते है संसरण। संसरण ही संसार है।*

बुद्ध का संततिवाद का सिद्धांत आज भी विज्ञान की कसौटी पर खरा उतरता है।

*सही कहें तो, आज तक कोई वैज्ञानिक बुद्ध के ज्ञान के स्तर पर नहीं पहुंचा है। जब कोई वैज्ञानिक बुद्ध के ज्ञान के स्तर पर पहुंच जाएगा, तो वह निश्चित रूप से बुद्ध हो जाएगा।*

*तथागत बुद्ध एक सर्वोत्तम सर्वोच्च वैज्ञानिक है।*

नमो बुद्धाय 🙏🙏🙏

Post a Comment

0 Comments